किन्नर कार्यकर्ता श्री गौरी सावंत जो अपने जीवन की तीसरी लड़ाई की तैयारी कर रही होती हैं, उसे पहले दो लड़ाई जो पहचान और अस्तित्व की लड़ाई थी उसकी याद आती है. उसकी यात्रा 10 साल के लड़के गणेश से शुरू होता हैं, जो बड़ा होकर माँ बनना चाहता है.
अपने सबसे प्रिय व्यक्ति को खोने के बाद, गणेश को अपने पहचान संकट का सामना करना पड़ता है. उसे यह चुनना पड़ता है की उसके करीबी लोग क्या चाहते हैं और वह क्या चाहता हैं. अपने पिता के साथ अपने रिश्ते के बारे में एक चौंकाने वाला खुलासा करता है.
जानलेवा ऑपरेशन के बाद गणेश, श्रीगौरी बन जाती है. वह एक छोटी लड़की को बुरी ताकतों के चंगुल से बचाती है और उसे एक घर देती है. गौरी एक प्रतीक, एक सामाजिक कार्यकर्ता और यहां तक कि एक खतरा भी बन जाती है.
समुदाय के लिए गौरी का काम उसे कई लोगों के लिए एक सेलिब्रिटी और कुछ लोगों की आंखों की किरकिरी बना देती है. जब वह ऊंची से ऊंची उड़ान भर रही होती है, तो उसे एक अपूरणीय क्षति होती है, जो उसे तोड़ कर रख देती है.
श्रीगौरी अपने जीवन की उच्च-दांव वाली लड़ाई को याद करती है जब वह और उसका समुदाय शक्तियों के सामने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर देते हैं. सर्वोच्च न्यायालय एक ऐतिहासिक फैसला सुनाता है जिससे हर कोई खुश है और उसकी जयकार करते हैं.