यह कहानी एक आम आदमी थिरु की है जो अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर पैसे कमाता है और वह कैसे सिंधुवाद बनता है.यह कहानी एक आम आदमी थिरु की है जो अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर पैसे कमाता है और वह कैसे सिंधुवाद बनता है.यह कहानी एक आम आदमी थिरु की है जो अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलकर पैसे कमाता है और वह कैसे सिंधुवाद बनता है.